ख्वाबों की मर्यादा
ख़्वाब में…
आज हम संग उड़े
ख़्वाब की दुनिया को
हक़ीक़त से परे कर मिले
यकीं नहीं होता
ऐसा भी ख़्वाब होता है
लगता है ख़्वाब में भी
ख़्वाब होता है
ख़्वाब में गुजारे वो लम्हे
तुम्हे कैसे बताऊँ
ख़्वाब की भी अपनी मर्यादा होती है
उस मर्यादा को बताओ, मैं कैसे हटाऊँ !
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