उसकी याद में
सूर्यास्त का वक़्त
समुद्र का छोर,
गुलशन की महक
प्रकृति,
अपनी सुन्दरता
बिखेर रही थी।
मैं उस वक़्त
वहीं लेटा हुआ
प्रकृति की सुन्दरता को निहार रहा था।
मन प्रफुल्लित
दिल ख़ुश था
तभी पायल की झंकार ने
मुझे अपनी ओर आकृष्ट किया।
मैं एकाएक चौका !
दिल की धड़कने बढ़ने लगी,
जिस्म कांप उठा
जुबान रूक गयी।
और मेरी आँखें उसे एक टक
यूँ देखने लगी
जैसे मेरी मनचाही
मुराद पूरी हो गई हो।
और मैं ख़ुशी के मारे
उसकी बाँहों में बाहें डालकर
वहीं एक ओर लेट गया।
तभी मुझे लगा
वो भीग गयी
मैं उसके जिस्म से
पानी पोछने लगा
फिर एक बार और चौंका
नींद से जागा
और देखा….
मैं उसके जिस्म से
पानी पोछ रहा था
वो, कोई मन चाही मुराद नहीं थी।
बल्कि बिस्तर का एक छोर था,
जो उसकी याद में
मेरे आँसुओं से
भीग गया था।
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