हक़
किस-किस का
शुक्रिया अदा करूँ
किस-किस का
एहसान चुकाऊँ
पहले ही मेरी
ज़िन्दगी
एहसानों के बोझ से
लद चुकी है।
तुम मुझे अपना
बनाकर
और ना एहसान
लादो मुझ पर
क्योंकि मरने के
बाद भी
मेरी मिट्टी पर
किसी और का हक़ होगा।
किस-किस का
शुक्रिया अदा करूँ
किस-किस का
एहसान चुकाऊँ
पहले ही मेरी
ज़िन्दगी
एहसानों के बोझ से
लद चुकी है।
तुम मुझे अपना
बनाकर
और ना एहसान
लादो मुझ पर
क्योंकि मरने के
बाद भी
मेरी मिट्टी पर
किसी और का हक़ होगा।
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