गुरू कृपा

पंक्षियो को उड़ते देख
लगता है
जीवन उड़ रहा है
पहाड़ो को देख
लगता है
जीवन ठहर गया है
नदियों को बहते देख
लगता है
जीवन चल रहा है
माँ के प्यार को देख
लगता है
जीवन प्यार भरा है
अपनों के बदलते नज़रिया को देख
लगता है, जीवन स्वार्थ भरा है
पत्नी का प्यार देख
लगता है
जीवन समर्पण भरा है
बिटिया की निगाहों में
स्नेह देख
लगता है
जीवन ख़ुशियों भरा है
कुछ पल-पल बदलते रिश्ते देख
लगता है
जीवन छलावा भरा है
उम्र दर-उम्र बढ़ते देख
लगता है
जीवन नासमझी भरा है
बावन बरस में
गुरूवर आचार्य श्री नानेश का
‘आत्मसमीक्षण‘ का अध्ययन कर
लगता है
जीवन कुछ उद्देश्य भरा है।

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