हक़ीक़त
चाहत से
मिलती है ज़िंदगी
ज़िंदगी चाहत का नाम है
आज इंसान चाहत से दूर
मदहोश होकर, पैसा बटोरने में,
चाहत की कब्र खोदकर
चाहत को दफनाने में
सारी ज़िंदगी गुजार देता है
होश में तब आता
जब ख़ुद को क़ब्र में पाता है।
चाहत से
मिलती है ज़िंदगी
ज़िंदगी चाहत का नाम है
आज इंसान चाहत से दूर
मदहोश होकर, पैसा बटोरने में,
चाहत की कब्र खोदकर
चाहत को दफनाने में
सारी ज़िंदगी गुजार देता है
होश में तब आता
जब ख़ुद को क़ब्र में पाता है।
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