रिश्ता
रिश्ता
गैरों से बनाने में
जीवन लगाते हैं
रिश्तेदार कल काम आएंगे
वक़्त की धूप ने
जीवन की चमक को
धुँधली, क्या किया?
रिश्तेदारों ने धूप में निकलना छोड़ दिया
अपनों की उपेक्षा का पाप
सर पर और जड़ा
गैर क्या,
अपनों से रिश्ते ना बना सका
गर रिश्ता बनाना है तुझे
पहले ख़ुद से ख़ुद का रिश्ता बना
अपनी हमसफ़र से रिश्ता बना
जीवन की ख़ुशियाँ देने वाली गुड़िया से रिश्ता बना
गर चाहता है और रिश्ता बनाना
‘भारत माँ’ से रिश्ता बना
धूप आने पर, धूप में आएगी
और छाँव भी खुद साथ लायेगी।
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