भ्रूण हत्या
विधाता ने प्रकृति की हर माता को
मातृत्व के गुणों से नवाजा है,
इन्सान ही नहीं
पशु-पक्षी, कीट-पतंगों
हर एक में,
मातृत्व की झलक देखी जा सकती है।
विधाता ने इंसान को विवेक,
पशु-पक्षी
कीट-पतंगों से कहीं ज्यादा दिया है।
इंसान मातृत्व की जननी मादा भ्रूण को
पहचान कर
नष्ट करने में,
जिस विवेक का
परिचय दे रहा है,
उससे विधाता हैरान भी है
और ख़ुश भी है।
हैरान इसलिए कि, उसने इंसान को
ईश्वर की सुन्दर कृति कैसे कहा?
और ख़ुश इसलिए कि उसने
पशु-पक्षी, कीट-पतंगों को
विवेक कम दिया।
अन्यथा दुनिया में, इंसान के साथ
प्रकृति पूरी तरह नष्ट हो जाती,
और समय से पहले प्रलय देखकर
विधाता फिर किसे
दुनिया में पहले
सृजन के लिए भेजता।।
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