हमनफ़स

मन मायूस हो जाता है
जब जिस्म में पंख नज़र नहीं आता है
मत मायूस हो, मेरी हमनफ़स
ख़्वाब में पंख लगा उड़ आ
आकाश में मैं उड़ते नज़र आऊँगा
ख़्वाब जब हक़ीक़त बन जायेगी
तुम ज़मीन पर बिन पंख आओगी
धरती तुम्हे अपनी गोद में बिठायेगी
गिरने के दर्द से बचायेगी
मेरी यादें तुम्हे गुदगुदायेंगी
हँसी होठों पर खुद-ब-खुद लौट आयेगी

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