विश्व जनसंख्या दिवस
हम एक से
आठ अरब हो गए
प्रकृति हमें बोझ नहीं समझती
प्रकृति हमें अपनी ख़ूबसूरती
जल, ज़मीन, जंगल
दिखाना चाहती है।
हम प्रकृति को बोझ समझ
जल, ज़मीन, जंगल लीलने लगे
प्रकृति, अब हमें अपनी ख़ूबसूरती नहीं
हमारी बनायी क़ब्रगाह दिखाना चाहती है।
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