माँ रौशनी की राह है…
माँ ! सिर्फ नारी का रूप नहीं है, माँ एक विचारधारा है। माँ के प्रति हमारी आस्था उसे हर रूपों में देख पाती है और हमारी निगाहें, माँ को कुदरत और प्रकृति के समीप पाती है।
मातृत्व दिवस में माँ की महिमा को व्यक्त करने के लिए शब्द बौने से प्रतीत हो रहे हैं। अंधेरे को रौशनी की चाह होती है, किंतु माँं सिर्फ रौशनी नहीं, बल्कि माँ रौशनी की राह होती है, यूं कहूं तो अतिश्योक्ति नहीं होगी, माँ कुदरत नहीं, तो और क्या है?
माँ का आँचल
माँ, सागर है प्यार का
माँ, दोस्तों की दोस्त है
माँ, दर्द हरने वाली दवा है
माँ, जीवन का सच है
माँ, रौशनी की राह है
माँ, के आँचल के कोने में
सागर सा प्यार है
माँ के आँचल में,
जन्नत की बहार है
सागर की शांत फ़िजा भी
माँ के आँचल को तरसती है
कहीं ज्वार- भाटा उसे
अशांत न कर दे।
माँ के समान
जिस नारी की सूरत
जन्म देने वाली माँ की याद दिलाए
वह नारी भी
माँ के समान है।
माँ कचहरी में बिराजती है
’’माँ’’ मेरी कचहरी में बिराजती है,
हर पल मुझे निहारती है।
दुःखियों की पीड़ा जब मैं सुनता हूँ
माँ की निगाहें, चमक से उठ जाती है
दुःखियों की पीड़ा जब हर जाती है
माँ मुझे अपने सीने से लगाती है
माँ दर्द मेरा समेटती है
माँ दर्द मेरा समेटती है
अपने सीने में लपेटती है
मेरा दर्द दूर हो जाता है,
नींद मुझे आ जाती है।
माँ मुझे अपने सीने से लगाती है,
अपना सारा दर्द भूल जाती है।
अदा
सबकी अदाओं में भारी है
माँ के दुलारने की अदा
याद
’’माँ’’
आज याद क्या आई तेरी?
क़ब्र से उठकर
आँसू बहाने लगा।
Beautiful creation of God is Nature
Gift of Nature is Mother
Mother herself is Nature,
Nature itself is Mother.
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