ख़ामोशी

जब भी
मेरी निगाहें
उनकी निगाहों से
टकराती है।
एक
अजीब सी
हलचल
दिल में होती है।
तभी
हवा का झोंका
कानों में
कुछ कह जाता है
निगाहें-निगाहों की बात
समझ गयी हैं,
मगर उनके होंठ
हमारी तरह ही ख़ामोश है।

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