माँ की याद….

अपनी निगाहों से हरदम
मेरा ख़्वाब सजाने वाली,
ख़्वाबों की दुनिया को
हक़ीक़त बनाने वाली।
35 बरस पहले देखा था तुम्हें,
आज हर पल
मेरी निगाहों में
बसने वाली।
बरसों पहले गोद में तेरी
बिताये थे चंद लम्हें,
आज तेरी यादों की गोद में
हर-पल जिये जा रहा हूॅ।
बरसों पहले
तुम्हारे हाथों से
माथे को सहलाने का
एहसास आज भी है मुझे,
यकीं नहीं तो
देख ले ‘नीलम’
मेरे सर के ऊपर हरदम
माँ के हाथ का साया है।

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