Sunburst Over River

Category: कविताएँ

  • इंसान और यमराज

    इंसान और यमराज हर-तरफ अंधेरा है मौत का साया हर जिंदादिलों को डस रहा है। ‘मौत’ कोई नयी बात तो नहीं, पहले भी तो लोग मरते थे मगर […]

  • ख़ामोशी

    ख़ामोशी जब भी मेरी निगाहें उनकी निगाहों से टकराती है। एक अजीब सी हलचल दिल में होती है। तभी हवा का झोंका कानों में कुछ कह जाता है […]

  • नया वर्ष मंगलमय हो !

    नया वर्ष मंगलमय हो ! जीवन की राह में अपने बहुत कम नज़र आते हैं। अपनत्व को बनाये रख नववर्ष की राह में चलते चले जाइये अपने ही, […]

  • एक उम्मीद-नया वर्ष

    एक उम्मीद-नया वर्ष किस क़दर गुज़री ज़िंदगी हमें याद नहीं हमें ना ग़म ना शिकवा बीती ज़िंदगी का माना लाख गलतियाँ की हमने सौ जख़्म खाये फिर भी […]

  • साथ

    साथ मैं माँ के साथ रहा 27 बरस माँ मेरे जे़हन में अब भी मेरे साथ है क्या ये कम है? मेरे लिए।

  • क़ब्र

    क़ब्र जिंदा लाशों की क़ब्र का प्रतीक कर्फ्यूग्रस्त शहर का हर चौराहा।

  • फिदा

    फिदा

    फिदा माँ, मैं तेरी ’’ख़ूबसूरती’’ पर फ़िदा हूँ ऐ मालिक ! मेरे चेहरे को मेरी माँ के तलवों की ख़ूबसूरती नसीब हो।

  • बेटी माँ रूप में 

    बेटी माँ रूप में 

    बेटी माँ रूप में  ’’बेटी माँ के रूप में’’ तब होती है जब ’’बेटी’’ पिता को नई राह दिखाए। और माँ के समान, प्यार कर, राह में साथ […]

  • सीख

    सीख

    सीख आज माँ की याद ने एक सीख दे दी चलने के लिए कारवाँ की नहीं… हौसले की ज़रूरत होती है और मैं अकेला चल पड़ा।

  • रिश्ता

    रिश्ता

    रिश्ता रिश्ता गैरों से बनाने में जीवन लगाते हैं रिश्तेदार कल काम आएंगे वक़्त की धूप ने जीवन की चमक को धुँधली, क्या किया? रिश्तेदारों ने धूप में […]