Sunburst Over River

Category: कविताएँ

  • अन्न-महिमा

    अन्न-महिमा बिना ज्यादा अन्न उगाए, उसी अन्न से हज़ारों भूखों के पेट भरो, करो सिर्फ इतना खाने के बाद थाली बिना अन्न के छोड़ो

  • गुरू कृपा

    गुरू कृपा पंक्षियो को उड़ते देख लगता है जीवन उड़ रहा है पहाड़ो को देख लगता है जीवन ठहर गया है नदियों को बहते देख लगता है जीवन […]

  • हमसफ़र

    हमसफ़र मैंने जीवन के सफर में उस रोज़ से तुम्हें अपना हमसफ़र मान लिया है, जब मैंने तुम्हंे नहीं तुम्हारी परछाई को देखा था।

  • शेरनी

    शेरनी इक्कीसवीं सदी में बांधवगढ़ नेशनल पार्क में, शेरनी के अस्तित्व से बाईसवीं सदी में ईन्सान के सुखद अस्तित्व की कल्पना की जा सकती है क्योंकि पर्यावरण संतुलन […]

  • संबंध

    संबंध इंसान ने जितना संबंध भौतिकता से जोड़ा है, उससे कहीं ज्यादा संबंध अपनों से तोड़ा है। सत्य का वास्तविकता से उतना ही संबंध है, जितना संबंध जीवन […]

  • छत्तीसगढ़ का वृन्दावन-छुईखदान

    छत्तीसगढ़ का वृन्दावन-छुईखदान प्रकृति की गोद में मैकल की पहाड़ियों के क़रीब बसा है, मेरा गांव। आओ, आज मैं तुम्हें अपने गाँव के बारे में कुछ बताऊँ अपने […]

  • सजा

    सजा किसी की गलती की सजा इतनी न दे ऐ ‘नीलम’ कहीं उस बदनसीब के पास पश्चाताप, के लिए दो वक़्त, भी न हो।

  • क़ीमत

    क़ीमत हर तरफ रोशनी से घिरे हैं हम, रोशनी की क़ीमत क्या बतायें हम। कभी जाके पूछो उनसे, जो अंधेरों की दुनिया को रोशनी की दुनिया समझकर जीते […]

  • आदत

    आदत सारा जहाँ बदल गया तुम बदल गई मैं बदल गया नहीं बदली तो सिर्फ मेरी आदत पहले तुमसे जागते हुए मिलने की आदत थी, अब ख़्वाबों में […]

  • अपेक्षाएं और खीझ

    अपेक्षाएं और खीझ अपेक्षाएँ और खीझ समानांतर चलती है ना हम अपेक्षाएँ रखे ना हमें खीझ होगी खीझ अपेक्षा से, सौ गुना तेज चलती है सौ प्रतिशत खीझ […]